मंगलवार, 2 अक्तूबर 2012

अहिंसा सूक्त (विश्व अहिंसा दिवस पर विशेष)

"अहिंसा सकलो धर्मः।" (अनुशासन पर्व- महाभारत) 
भावार्थ:- सभी प्रकार की धार्मिक और सात्विक प्रवृत्तियों का समावेश केवल अहिंसा में हो जाता है।

"हिंसा परो दमः।" (अनुशासन पर्व- महाभारत)
 भावार्थ:- अहिंसा ही सर्वश्रेष्ठ आत्मनिग्रह है। 

"अहिंसा परमं दानम्।" (पद्म-पुराण) 
 भावार्थ:- अहिंसा स्वरूप अभयदान ही परम दान है। 

"अहिंसा परमं तपः।" (योग-वशिष्ट) 
 भावार्थ:- अहिंसा ही सबसे बड़ी तपस्या है। 

"अहिंसा परमं ज्ञानम्।" (भागवत-स्कंध) 
 भावार्थ:- अहिंसा ही सर्वश्रेष्ठ ज्ञान है। 

"अहिंसा परमं पदम्।" (भागवत-स्कंध) 
भावार्थ:- अहिंसा ही सर्वोत्तम आत्मविकास अवस्था है। 

"अहिंसा परमं ध्यानम्।" (योग-वशिष्ट) 
भावार्थ:- अहिंसा की परिपालना ही उत्कृष्ट ध्यान है।

"अहिंसैव हि संसारमरावमृतसारणिः।" (योग-शास्त्र) 
भावार्थ:- अहिंसा ही संसार रूप मरूस्थल में अमृत का मधुर झरना है। 

"रूपमारोग्यमैश्वर्यमहिंसाफलमश्नुते।" (बृहस्पति स्मृति) 
भावार्थ:- सौन्दर्य, नीरोगता एवं ऐश्वर्य सभी अहिंसा के फल है। 

"अहिंसया च भूतानानमृतत्वाय कल्पते।" (मनु-स्मृति) 
भावार्थ:- अहिंसा के फल स्वरूप, प्राणियों को अमरत्व पद की प्राप्ति होती है। 

"ये न हिंसन्ति भूतानि शुद्धात्मानो दयापराः।" (वराह-पुराण) 
भावार्थ:- जो प्राण-भूत जीवों की हिंसा नहीं करते, वे ही आत्माएं पवित्र और दयावान है।
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