tag:blogger.com,1999:blog-1075080103501088483.post616071514528905955..comments2023-08-21T20:08:03.188+05:30Comments on ॥ भारत-भारती वैभवं ॥: वैचारिक दक्षता का अहंकार विद्वान को ले डूबता है।Amit Sharmahttp://www.blogger.com/profile/15265175549736056144noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-1075080103501088483.post-34523843402836788782010-10-26T12:23:05.704+05:302010-10-26T12:23:05.704+05:30@ऐसे दक्ष विद्वान् व्यावहारिक विद्वान् नहीं कहला स...@ऐसे दक्ष विद्वान् व्यावहारिक विद्वान् नहीं कहला सकते. या कहलायेंगे भी तो अल्पकाल के लिये या फिर सीमित दायरे में. जो वास्तविक विद्वान् होते हैं उनका लोहा तो कुमार्गी भी मानते हैं. शत्रु और चरित्रहीन व्यक्ति ऐसे व्यक्तित्व के सम्मुख नत रहते हैं. <br /><br />विद्वान की गहन गम्भीर समिक्षा!!, तात्पर्य ऐसे बौद्धिकों से ही था, जो स्वयं को विद्वान मान बैठते है।सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1075080103501088483.post-80772167963105396132010-10-25T13:19:15.614+05:302010-10-25T13:19:15.614+05:30.
सत्य वचन. चिंतन को विस्तार ..........
परन्तु क....<br /><br />सत्य वचन. चिंतन को विस्तार ..........<br /><br />परन्तु किसी कला में दक्षता से यह प्रमाणित नहीं होता कि कोई व्यक्ति वास्तव में विद्वान् है.<br /><br />देखने में आया है कि कई उपदेशक धाराप्रवाह ऐसा बोलते हैं कि लगता कि सरस्वती इनकी जिह्वा से उतरती ही नहीं. <br /><br />इसे हम वैचारिक दक्षता कह सकते हैं. जैसे कोई पुजारी नियमित कोई आध्यात्मिक पाठ करे और सर्वमान्य नैतिक मूल्यों पर बोले, अभ्यास वाले उदाहरणों को दृष्टांत रूप में परोसे. लेकिन उस उपदेशक की करनी अपनी कथनी से ही भिन्न हो. तो ऐसे दक्ष विद्वान् व्यावहारिक विद्वान् नहीं कहला सकते. या कहलायेंगे भी तो अल्पकाल के लिये या फिर सीमित दायरे में. जो वास्तविक विद्वान् होते हैं उनका लोहा तो कुमार्गी भी मानते हैं. शत्रु और चरित्रहीन व्यक्ति ऐसे व्यक्तित्व के सम्मुख नत रहते हैं. <br /><br />.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.com