प्रिय मित्रों
निश्चय ही यह आप सभी के सहयोग तथा संस्कृत माता की कृपा का परिणाम है कि संस्कृतजगत् ईपत्रिका के प्रथम संस्करण के ही पाठकों की संख्या एक हजार से अधिक पहूँच गई ।
इसी क्रम में संस्कृतजगत् पत्रिका के द्वितीय संस्करण को भी प्रस्तुत किया गया है । त्रैमासिकी पत्रिका होने के कारण हम इसे तीन महीनों के अन्तराल पर ही प्रस्तुत कर पा रहे हैं, हालाँकि कई मित्रों का सुझाव तथा कुछ ज्येष्ठों की आज्ञा हुई इसे मासिक ईपत्रिका के रूप में निकालने के लिये, किन्तु उतनी मात्रा में आपके लेख न आने के कारण अभी फिलहाल इस पत्रिका को तीन महीने में एक बार ही प्रस्तुत किया जा रहा है । आगे जैसे जैसे आपके लेखों की संख्या बढती जाएगी, हम इस ईपत्रिका को मासिक ईपत्रिका करने की दिशा में अग्रसर होंगे ।
सम्प्रति आपके सम्मुख इस ईपत्रिका का द्वितीय संस्करण प्रस्तुत किया जा रहा है । पत्रिका का यह संस्करण ज्ञान की दृष्टि से और भी उपयोगी बनाया गया है, हालाँकि कुछ टंकण सम्बन्धी त्रुटियाँ भी हैं इस अंक में किन्तु वह सीमित ही हैं, तथा उनका पत्रिका की गुणवत्ता पर कोई बुरा प्रभाव नहीं है ।
अग्रिम संस्करण का प्रकाशन अगस्त मास में किया जाएगा । अग्रिम संस्करण के लिये अपने लेख pramukh@sanskritjagat.com पर अपने नाम व संक्षिप्त परिचय के साथ भेज सकते हैं । फेसबुक प्रयोग करने वाले सीधे फेसबुक के संस्कृतजगत् ईपत्रिका समूह में अपने लेख प्रकाशित कर सकते हैं, आपके लेख वहीं से सीधे ले लिये जाएँगे ।
द्वितीय संस्करण तलपूर्ति के लिये निम्नप्रदत्त श्रृंखलाओं में किसी एक पर स्पर्श करें ।
निश्चय ही यह आप सभी के सहयोग तथा संस्कृत माता की कृपा का परिणाम है कि संस्कृतजगत् ईपत्रिका के प्रथम संस्करण के ही पाठकों की संख्या एक हजार से अधिक पहूँच गई ।
इसी क्रम में संस्कृतजगत् पत्रिका के द्वितीय संस्करण को भी प्रस्तुत किया गया है । त्रैमासिकी पत्रिका होने के कारण हम इसे तीन महीनों के अन्तराल पर ही प्रस्तुत कर पा रहे हैं, हालाँकि कई मित्रों का सुझाव तथा कुछ ज्येष्ठों की आज्ञा हुई इसे मासिक ईपत्रिका के रूप में निकालने के लिये, किन्तु उतनी मात्रा में आपके लेख न आने के कारण अभी फिलहाल इस पत्रिका को तीन महीने में एक बार ही प्रस्तुत किया जा रहा है । आगे जैसे जैसे आपके लेखों की संख्या बढती जाएगी, हम इस ईपत्रिका को मासिक ईपत्रिका करने की दिशा में अग्रसर होंगे ।
सम्प्रति आपके सम्मुख इस ईपत्रिका का द्वितीय संस्करण प्रस्तुत किया जा रहा है । पत्रिका का यह संस्करण ज्ञान की दृष्टि से और भी उपयोगी बनाया गया है, हालाँकि कुछ टंकण सम्बन्धी त्रुटियाँ भी हैं इस अंक में किन्तु वह सीमित ही हैं, तथा उनका पत्रिका की गुणवत्ता पर कोई बुरा प्रभाव नहीं है ।
अग्रिम संस्करण का प्रकाशन अगस्त मास में किया जाएगा । अग्रिम संस्करण के लिये अपने लेख pramukh@sanskritjagat.com पर अपने नाम व संक्षिप्त परिचय के साथ भेज सकते हैं । फेसबुक प्रयोग करने वाले सीधे फेसबुक के संस्कृतजगत् ईपत्रिका समूह में अपने लेख प्रकाशित कर सकते हैं, आपके लेख वहीं से सीधे ले लिये जाएँगे ।
द्वितीय संस्करण तलपूर्ति के लिये निम्नप्रदत्त श्रृंखलाओं में किसी एक पर स्पर्श करें ।
स्तुत्य प्रयास..
जवाब देंहटाएंसराहनीय कार्य, शुभकामनायें!
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति....
जवाब देंहटाएंइंडिया दर्पण पर भी पधारेँ।
ऐसे प्रयास होते न रहे तो संस्कृत कहीं विलुप्त ही न हो जाए.
जवाब देंहटाएंअनंत शुभकामनाएं....
सादर
अनु
यह एक वंदनीय प्रयास है।
जवाब देंहटाएंhardik shubhkamnayen .
जवाब देंहटाएंTIME HAS COME ..GIVE YOUR BEST WISHES TO OUR HOCKEY TEAM -BEST OF LUCK ..JAY HO !
आपका यह प्रयास अच्छा लगा । मेरे पोस्ट पर आपका स्वागत है । धन्यवाद ।
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