प्रिय बन्धुओं स्वागत है इस संस्कृतवर्ग में आप सब का ।।
इत: परं वयं संस्कृतविषये बहुकिमपि चर्चयाम: ।।
अब हम लोग संस्कृत के विषय में बहुत कुछ चर्चा करेंगे ।।
चर्चाया: माध्यमं कापि भाषा भवितुम् अर्हति ।।
चर्चा का माध्यम कोई भी भाषा हो सकती है ।।
आग्लं भवतु वा, हिन्दी भवतु वा संस्कृतम् वा ।।
अंग्रजी हो, हिन्दी हो या संस्कृत हो ।
।
अस्माकं विषया: अपि केपि भवितुम् अर्हन्ति ।।
हमारे विषय भी कुछ भी हो सकते हैं ।।
वयं मिलित्वा सर्वेषां विषयानां पुनश्च समस्यानां समाधानं निराकरणं च
करिष्याम: ।।
हम सब मिलकर सभी विषयों और समस्याओं का समाधान और निराकरण करेंगे ।।
पठनं पाठनं चापि करिष्याम: ।।
पढें और पढायेंगे भी ।।
ग्रन्थानां आदान-प्रदानम् अपि करिष्याम: ।।
ग्रन्थों का आदान प्रदान भी करेंगे ।।
अनेन माध्यमेन एव सरलतया संस्कृतं अपि बोधयिष्याम: ।।
इसी माध्यम से ही सरल रूप से संस्कृत का ज्ञान भी करेंगे ।।
मया सह कृतसंकल्पा: भवन्तु सर्वे
मेरे साथ सभी कृतसंकल्प हों ।।
कृण्वतो विश्वमार्यम्
सम्पूर्ण विश्व को आर्य बनायें ।।
जयतु संस्कृतम्
भवदीय: - आनन्द:
--
भवान् एष: सन्देश: प्राप्तवान् यतोहि भवान् अस्य वर्गस्य एक: सदस्य: ।
एतस्मै वर्गाय सन्देशं दातुं sanskritjagat@googlegroups.com जालसंकेते जालसंदेशं करोतु ।
वर्गं त्यक्तुं sanskritjagat+unsubscribe@googlegroups.com उपरि जालसंदेशं प्रेषयतु ।
अधिकं ज्ञातुं http://groups.google.com/group/sanskritjagat?hl=en संकेतम् उद्घाटयतु ।।
न जानामि अहं संस्कृतं तथापि च आनंदम प्राप्नोमि ! युयं सह अहं संस्कृतं जानिष्यामि ! धन्यवाद: !
जवाब देंहटाएंआपके पोस्ट पर पहली बार आया हूं। संस्कृत पढृ कर बचपन की याद आ गयी। मेरे पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा।
जवाब देंहटाएंशोभनम्। हृदयाह्लादकारिणी रचना। साधु निवेदनमस्ति।
जवाब देंहटाएंपांच लाख से भी जियादा लोग फायदा उठा चुके हैं
जवाब देंहटाएंप्यारे मालिक के ये दो नाम हैं जो कोई भी इनको सच्चे दिल से 100 बार पढेगा।
मालिक उसको हर परेशानी से छुटकारा देगा और अपना सच्चा रास्ता
दिखा कर रहेगा। वो दो नाम यह हैं।
या हादी
(ऐ सच्चा रास्ता दिखाने वाले)
या रहीम
(ऐ हर परेशानी में दया करने वाले)
आइये हमारे ब्लॉग पर और पढ़िए एक छोटी सी पुस्तक
{आप की अमानत आपकी सेवा में}
इस पुस्तक को पढ़ कर
पांच लाख से भी जियादा लोग
फायदा उठा चुके हैं ब्लॉग का पता है aapkiamanat.blogspotcom
आपकी पोस्ट पढ़कर स्कूल पढ़ा एक श्लोक याद आ गया ........
जवाब देंहटाएंयेषां न विद्या न तपो न दानं
न ज्ञानं न शीलं न गुणों न धर्मा:
ते मृत्यु लोके भुवि भार भूता
मनुष्य रूपेण मृगा चरन्ति .
जयतु संस्कृतम्