बुधवार, 29 सितंबर 2010

विश्व की बन सत्य-अर्थी दीपिका

मंगलाचरण 
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भविष्य तेरे सामने है लेखनी! 
तू सत्य वचनों से उसे अवगत करा. 
भावों के भण्डार की हे मुक्तिका! 
खोल दे सब द्वार, तमस-पर्दा हटा. 
इतिहास पृष्ठों में जहाँ भ्रम है भरा 
प्रमाण देकर सत्य का सच-सच बता. 
लग गये जो पृष्ठ कालिख से रंगे 
हे लेखनी, उस मसि की मृषता मिटा. 
समाते जो जा रहे जन गर्त में
उन्हें तू अमरावती का पथ बता. 
अयि, कवि के कर लगी, ओ प्रेमिका! 
विश्व की बन सत्य-अर्थी दीपिका. 

4 टिप्‍पणियां:

  1. इतिहास पृष्ठों में जहाँ भ्रम है भरा
    प्रमाण देकर सत्य का सच-सच बता !!!

    अगर भ्रम न मिटा तो इतिहास ही बदल देंगे !!

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  2. सार्थक मंगल-आचरण!
    लग गये जो पृष्ठ कालिख से रंगे
    हे लेखनी, उस मसि की मृषता मिटा.

    जवाब देंहटाएं
  3. अगर भ्रम न मिटा तो इतिहास ही बदल देंगे !!
    @ मेरी लेखनी भी यही इच्छा रखती है.
    मेरे देश मेरे धर्म का मान जिस मिथ्या इतिहास से घटता होगा उसका विश्लेषण करने की मंशा है. सहयोग अपेक्षित है.

    जवाब देंहटाएं
  4. सुज्ञ जी
    आपकी पड़ताली दृष्टि की प्रतीक्षा है. जहाँ मिथ्या को मंडित होते देखिये उसका खुलकर उल्लेख करिए तर्कों के साथ. सांस्कृतिक गौरव-गान के साथ हमें उन मंडनों का खंडन करना है जो वैदिक सनातन परम्पराओं को कमतर करके आंकते हैं.

    जवाब देंहटाएं

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