निरामिष ब्लॉग पर शाकाहार द्वारा मानवीय लाभार्थ, तर्कपूर्ण व तथ्यपूर्ण जानकारी उपलब्ध करवाई जाएगी, ताकि लोग अपने आहार के चुनाव में जाग्रत रहें।
शाकाहार के गुणानुवाद में मांसाहार की आलोचना अवश्यंभावी है, इसे मांसाहारीयों (व्यक्तियों) की निंदा की तरह नहीं लिया जाना चाहिए। यह मांसाहार के दोषो की मात्र अभिव्यक्ति होती है।
शाकाहार की प्रसंशा करना शुद्धता या पवित्रता का दर्प नहीं, क्योंकि यह है ही अपने आप में स्वच्छ और सात्विक। इसलिये शुद्धता और पवित्रता सहज अभिव्यक्त हो सकती है।
कुविचार चाहे पारम्परिक हो या आधुनिक, अथवा साम्यता के चोले में, स्वीकार्य नहीं हो सकता।
मांसाहार की निंदा करना, किसी भी धर्म की निंदा नहीं है। क्योंकि कोई भी ऐसा धर्म नहीं है जो मात्र मांसाहार के सिद्धांत पर ही टिका हो, और यदि किसी धार्मिक संस्कृति का अस्तित्त्व हिंसाजन्य मांसाहार पर ही टिका हो तो वह धर्म हो ही नहीं सकता। इस प्रकार की विचारधारा की निंदा, धर्म-निंदा की श्रेणी में नहीं आती।
निरामिष पर ब्लॉग लेखक मण्डल समय समय पर तात्विक सार्थक लेख प्रस्तुत करते रहेंगे।
शाकाहार : सात्विक भोजन : निरामिष खाद्य पर लेखो के लिये अवश्य 'निरामिष' विजिट करें…
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जवाब देंहटाएंहूँ मन से साथ तुम्हारे.
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बहुत सुंदर ....स्वागत योग्य पहल ....आभार
जवाब देंहटाएंप्रतुल वशिष्ठ जी,
जवाब देंहटाएंडॉ॰ मोनिका शर्मा जी,
आभार आपका!! बहुत आभार