मंगलवार, 22 मार्च 2011

जल जीवन है , प्राण है !

 



प्रिय मित्रों 
राष्ट्र भावना , सभ्यता, संस्कृति के मूल भावों को ले'कर चलने वाला ब्लॉग है , 
इन्हीं भावों में अंतर्निहित  हैं 
"वसुधैव कुटुम्बकम"
और
"सर्वे भवंतु सुखिनाः सर्वे संतु निरामयाः" 
के भाव ! 

विश्व जल दिवस के अवसर पर जल को ले'कर हमने कुछ कहने का प्रयास किया है ।
आपकी प्रतिक्रिया से ही पोस्ट की सार्थकता है । 
 जल जीवन है प्राण है !
सलिल वारि अंभ नीर जल पानी अमृत नाम !
जल जीवनदाता ; इसे शत-शत करो प्रणाम !!
वृक्ष लता क्षुप तृण सभी का जल पोषणहार !
हर मनुष्य , हर जीव का , जल ही प्राणाधार !!
जीव-जंतु सबके लिए , जल का शीर्ष महत्व !
सर्वाधिक अनमोल जल , प्राण प्रदायी तत्व !!
जल जीवन है प्राण है , यही सृष्टि का मूल !
जल-क्षति , क्षति हर जीव की ; करें न ऐसी भूल !!
जल मत व्यर्थ गंवाइए , रखिए पूरा ध्यान !
सूख गए जल-स्रोत तो व्यर्थ ज्ञान-विज्ञान !!
पृथ्वी पर जल के बिना संभव नहीं विकास !
नहीं रहा जल उस घड़ी होगा महाविनाश !!
जल के दम से आज तक मुसकाए संसार !
वरना मच जाता यहां कब का हाहाकार !!
हर प्राणी हर जीव की जल से बुझती प्यास !
जल से ही ब्रह्मांड में है जीवन की आस !!
जीवित ; जल के पुण्य से पृथ्वी के सब जीव !
हरी-भरी धरती ; बिना जल होती निर्जीव !!
सहज हमें उपलब्ध है तो जल का अपमान ?
महाप्रलय पानी बिना ! है तब का अनुमान ??
बिन पानी रह जाएगी धरा मात्र श्मशान !
अभी समय है ! संभलजा , ओ भोले इंसान !!
जीवन की संभावना , मात्र शून्य , बिन नीर !
जल-संरक्षण के लिए हो जाओ गंभीर !!
जल की नन्ही बूंद भी नहीं गंवाना व्यर्थ !
सचमुच , जग में जल बिना होगा महा अनर्थ !!
है सीमित , जल शुद्ध ; कर बुद्धि सहित उपभोग !
वर्षा-जल एकत्र कर ! मणि-कांचन संयोग !!
अंधाधुंध न कीजिए , पानी को बरबाद !
कई पीढ़ियों को अभी होना है आबाद !!
-राजेन्द्र स्वर्णकार

©copyright by : Rajendra Swarnkar

शुक्रवार, 18 मार्च 2011

Arya- the Young Gun: सामवेद संहिता के कुछ प्रमुख तथ्य .............

Arya- the Young Gun: सामवेद संहिता के कुछ प्रमुख तथ्य .............: "१. सामवेद से तात्पर्य है कि वह ग्रन्थ जिसके मन्त्र गाये जा सकते हैं और जो संगीतमय हों। २. यज्ञ, अनुष्ठान और हवन के समय ये मन्त्र गाये जाते ह..."

मंगलवार, 15 मार्च 2011

संस्‍कृतप्रशिक्षणम्




      माननीय महोदय

      आप सभी की विशेष आज्ञा व निवेदन पर संस्‍कृतजगत नें संस्‍कृतप्रशिक्षण की नयी कक्ष्‍या का शुभारम्‍भ कर दिया है  ।
यह कक्ष्‍या बहुत ही सरल तथा उपयोगी है  ।  इसमें मूलभूत संस्‍कृतवाचन के तत्‍वों पर अधिक ध्‍यान दिया गया है व पूरे प्रयत्‍न से काठिन्‍य निवारण किया गया है  ।
इसके दो पाठ प्रकाशित कर दिये गये हैं
आप इनका लाभ उठायें व अन्‍य मित्रो को भी इसके विषय में अवगत करायें  ।

यदि आप संस्‍कृत के विद्वान हैं अथवा संस्‍कृतलेखन जानते हैं तो संस्‍कृतजगत् परिवार का हिस्सा बनकर संस्‍कृत के तीव्रप्रसार में योगदान दें  ।

धन्‍यवाद

संस्‍कृतजगत्

सोमवार, 14 मार्च 2011

Arya- the Young Gun: ओउम शब्द का अर्थ ...........

Arya- the Young Gun: ओउम शब्द का अर्थ ...........: "ओउम :- यह ओंकार शब्द परमेश्वर का सर्वोतम नाम है, क्योंकि इसमे जो अ, उ , म तीन अक्षर मिलकर एक ओउम समुदाय हुआ है, इस एक ..."

मंगलवार, 8 मार्च 2011

उठो राष्ट्र प्रहरियो !



दिशाएँ सब विक्षिप्त हैं. 
मृत्यु दीर्घजीवी पर, जीवन आयु संक्षिप्त है. 


स्वप्न ध्वस्त हो गये, सौभाग्य अस्त हो गये. 
षडयंत्रों के जंगलों में, हवा तक संलिप्त है.  


देवत्व वनवासी हुए, दुरित अधिवासी हुए. 
'सुसंकल्प' गरल पीकर, चिरनिद्रा में तृप्त हैं.


उठो राष्ट्र प्रहरियो ! ... ग्रामीणो व शहरियो !!
गली-गली आवाज़ दो, यहाँ डगर-डगर सुप्त है. 


आर्यत्व घोष गुंजार दो, गांडीव को टंकार दो. 
चहुँमुखी शत्रु नाश का, यही समय उपयुक्त है. 

आँसुओं को उल्लास दो, अंधेरों को उजास दो. 
आँख दो - अरे आँख दो, एक राष्ट्रभाव लुप्त है. 

— आचार्य भगवानदेव 'चैतन्य' की रचना

मंगलवार, 1 मार्च 2011

ओ भारत के नायको इक बार आ जाओ

ओ भारत के नायको इक बार आ जाओ
हमारे मृत शरीरों में प्राण बन समा जाओ

राम तुम्हारी थापी मर्यादा हो रही तार तार

आदर्श तुम्हारे जीवन के अब लगते बेकार

ओ गायक गीता के तुम तो फिर से आओ
विनाशाय च दुष्कृताम सिद्ध कर दिखलाओ

प्रताप ! तुम्हारी कीर्ति का ताप अब ढल रहा

निज राष्ट्र गौरव स्वाधीनता स्वप्न बिखर रहा

शिवा ! शिव-प्रेरणा को हमने अब भुला दिया

अटल छत्र जो रोपा तुमने उसे छितरा दिया

सवा सवा लाख का काल एक को बनाने वाले

गुरु नाम की लाज रख अमृतपान करा जाओ

ओ मर्दानी झांसी वाली देख देश की लाचारी

फिरंगी नहीं अपने बैठे सिंहासन पर अत्याचारी

तम-नीलिमा नाश को प्राची से हो उदित आ जाओ

भारत वैभव को अटल करने अमित शौर्य बन आओ
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विनम्र निवेदन :- सभी स्नेहीजनो से निवेदन है की मेरे ब्लॉग "AMIT SHARMA" का पता परिवर्तित हो गया है, इसलिए जिन प्रेमी जनों ने अपनी ब्लॉग लिस्ट में मेरे ब्लॉग को पुराने पते से जोड़ रखा है उन तक मेरे ब्लॉग की नयी पोस्टों की सूचना नहीं पहुँच पा रही है. , यदी विशेष कष्ट ना हो तो अब नए पते www.amitsharma.org पर पधार कर पुनः सबस्क्राइब करने की कृपा करें जिससे की आप सभी का आशीर्वाद पूर्व की भांती निरंतर मिलता रहे.
कृपाकांक्षी
अमित शर्मा
www.amitsharma.org



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