प्रिय मित्रों
इन्हीं भावों में अंतर्निहित हैं
"वसुधैव कुटुम्बकम"
और
"सर्वे भवंतु सुखिनाः सर्वे संतु निरामयाः"
के भाव !
विश्व जल दिवस के अवसर पर जल को ले'कर हमने कुछ कहने का प्रयास किया है ।
आपकी प्रतिक्रिया से ही पोस्ट की सार्थकता है ।
जल जीवन है
प्राण है !
सलिल वारि अंभ नीर जल पानी अमृत नाम
!
जल जीवनदाता
; इसे शत-शत करो प्रणाम !!
वृक्ष लता क्षुप तृण सभी का जल
पोषणहार !
हर मनुष्य
, हर जीव का , जल ही प्राणाधार
!!
जीव-जंतु सबके लिए , जल का शीर्ष महत्व !
सर्वाधिक अनमोल जल
, प्राण प्रदायी तत्व !!
जल जीवन है प्राण है
, यही सृष्टि का मूल !
जल-क्षति , क्षति हर जीव की ; करें न ऐसी भूल !!
जल मत व्यर्थ गंवाइए
, रखिए पूरा ध्यान !
सूख गए जल-स्रोत तो व्यर्थ ज्ञान-विज्ञान !!
पृथ्वी पर जल के बिना संभव नहीं विकास
!
नहीं रहा जल उस घड़ी होगा महाविनाश
!!
जल के दम से आज तक मुसकाए संसार
!
वरना मच जाता यहां कब का हाहाकार
!!
हर प्राणी हर जीव की जल से बुझती
प्यास !
जल से ही ब्रह्मांड में है जीवन की आस
!!
जीवित ; जल के पुण्य से पृथ्वी के सब जीव !
हरी-भरी धरती ; बिना जल होती निर्जीव !!
सहज हमें उपलब्ध है …तो जल का अपमान ?
महाप्रलय पानी बिना
! है तब का अनुमान ??
बिन पानी रह जाएगी धरा मात्र श्मशान
!
अभी समय है
! संभलजा , ओ भोले इंसान !!
जीवन की संभावना
, मात्र शून्य , बिन नीर !
जल-संरक्षण के लिए हो जाओ गंभीर !!
जल की नन्ही बूंद भी नहीं गंवाना
व्यर्थ !
सचमुच , जग में जल बिना होगा महा अनर्थ !!
है सीमित
, जल शुद्ध ; कर बुद्धि सहित उपभोग
!
वर्षा-जल एकत्र कर ! मणि-कांचन
संयोग !!
अंधाधुंध न कीजिए
, पानी को बरबाद !
कई पीढ़ियों को अभी होना है आबाद
!!-राजेन्द्र स्वर्णकार
©copyright by : Rajendra
Swarnkar
अंधाधुंध न कीजिए , पानी को बरबाद !
जवाब देंहटाएंकई पीढ़ियों को अभी होना है आबाद !!
जल दिवस पर शानदार दोहा आहुति!! साधुवाद
जीवित ; जल के पुण्य से पृथ्वी के सब जीव !
जवाब देंहटाएंहरी-भरी धरती ; बिना जल होती निर्जीव !!
बहुत सुंदर राजेन्द्रजी.... सार्थक पंक्तियाँ रची हैं...
Bahut sundar ..
जवाब देंहटाएंअंधाधुंध न कीजिए , पानी को बरबाद !
जवाब देंहटाएंकई पीढ़ियों को अभी होना है आबाद !!
aaj ke din vishesh aahwaan... bahut badhiyaa
.
जवाब देंहटाएंजा-पानी पानी घिरा, करता चीख पुकार.
व्यर्थ बहाया जल बहुत, सागर चढ़ा बुखार.
हिन्दुस्तानी हद करे, पाकर जल-उपहार.
एक नहाए बाथटब, एक हलक अन-लार.
सुन्दर-सुन्दर रच दिये, दोहे स्वर्णकार.
गूँथ दिया अश्रुजल से, संदेशों का सार.
.
सतसैया के दोहा सम, भाव छुप्यो अपार
जवाब देंहटाएंदिव्य भाव रचे सुघड़ सन्देश दे स्वर्णकार
बाल्टी से नहाना भूले शॉवर से अब नहाते है
जवाब देंहटाएंयूरोपियन में निवृत हो बेदर्दी से जल बहते है
आधी बाल्टी गीले कपडे से कार चमकती है
पर धोते नल की धार से ना छाती फटती है
शेव करते बेशर्मी से, सारे समय नल खुल्ला
मंजन करते नल खुल्ला डूब मरो भर चुल्ला
बहुत महत्वपूर्ण पोस्ट है यह और शायद सबसे कम ध्यान आकर्षित करने वाला विषय ...यही हमारी बदकिस्मती है ! अमित शर्मा के क्रोध में कहे दोहे, हम लोगों के जीवन में लगभग हर घर में चरितार्थ होते हैं ! कोई नहीं सोंचता कि इस धरती पर जल सीमित मात्रा में है !यही बदकिस्मती है हम अपढ़ मानवों की ...
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें !
अमित जी,
जवाब देंहटाएंजो बहाते नीर व्यर्थ, वो क्यों चुल्लु भर भी लहे।
नीर हो नजर के सम्मुख,नजर से नीर की धार बहे॥
पानी हित में उपजी, आज हितकर वानी।
जवाब देंहटाएंप्रकृति खेदज्ञ वीरों, आज बताया पानी॥
शेव करते बेशर्मी से, सारे समय नल खुल्ला
जवाब देंहटाएंमंजन करते नल खुल्ला डूब मरो भर चुल्ला
.......... मजेदार है खुल्ला चुल्ला ...... पढ़के रे गया मुँ खुल्ले-का-खुल्ला.
@ अमित जी की इस जबरजस्त छंद रचना पर ... मेरा जोश कुछ यूँ कह रहा है :
जबरन ...
पकड़कर कलम....
लिख डालूँ ................. कवी...ता.
कब तलक .... कलम थामे रहूँ ?
ओहो
जवाब देंहटाएंमान्य कवियों को तथा उनके इस संदेश को मेरा सादर प्रणाम
आहाऽऽहा !
जवाब देंहटाएंअति सुंदर !
तो… कवि सम्मेलन शुरू है …
इतना पेलने के बाद फिर आ गया हूं …
झेलने को तैयार हो जाइए … :)
चुल्लू पानी में जिन्हें , मर जाना था डूब !
भ्रष्टाचारी वे सभी , मौज उड़ाते ख़ूब !!
अमित भाई की चिंता जायज है .......
जवाब देंहटाएं......"फ्लोराइड के खतरे के मामले में राजस्थान नंबर वन है और यहां के 32 जिले पानी के इस संकट से पीड़ित हैं, वहीं देश के बिहार, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, झारखंड, असम, छत्तीसगढ़ आदि राज्यों, 26 जिलों व कुछ गांवों में आर्सेनिक की मात्रा उचित सीमा 0.01 मिलीग्राम प्रति लिटर से अधिक है लेकिन क्या करें यहां के लोग ऐसा दूषित पानी पीने के लिए मजबूर हैं। दूषित पानी पीने से यहां के लोग अधिक बीमार होते हैं तथा समय से पहले भगवान को प्यारे हो जाते हैं।"
"भूजल विशेषज्ञों का मानना है कि सूखी धरती में जब पानी बहुत ज्यादा गहराई में चला जाता है तब पानी कम, खतरनाक केमिकल ज्यादा पानी में घुल-मिल जाते हैं। अब तो भूजल में केमिकल और ज्यादा खतरनाक रूप ले रहे हैं क्योंकि बहुत सी कंपनियां चोरी छिपे भू-गर्भ में अपना दूषित पानी छोड़ रही हैं।
जवाब देंहटाएंयदि ऐसे ही भू-गर्भ में कंपनियों द्वारा जहरीला पानी छोड़ा गया और समय रहते नदियों की सफाई तथा उनके पानी का सदुपयोग व तालाब आदि नहीं खुदवाए गए तो जल्द ही पीने के पानी का संकट अधिक गहराएगा। पूर्व प्रधान मंत्राी अटल बिहारी वाजपेयी की दूरगामी सोच कि भारत के सभी राज्यों व शहरों की छोटी बड़ी नदियों व नहरों से जोड़े जाने वाली बात आज याद आती है।"
जल जीवन है , प्राण है ! .......जब तक स्वच्छ है
जवाब देंहटाएंविश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में 2007 में 16 लाख लोगों की मौत दूषित पानी के सेवन से हुई है । जबकि यह संख्या इस साल मई तक 7 लाख 80 हजार तक जा पहुंची है । रिपोर्ट कह रहे है की इन मौतों के पीछे भूजल में बढ़ रही फ्लोराइड और आर्सेनिक की मात्रा है जो लगातार बढ़ रही है। देश में लगभग 600 जिले हैं और इन में से तकरीबन 200 जिलों के चापाकल से लिए गए नमूने के पानी में फ्लोराईड और आर्सेनिक की मात्रा उचित सीमा से ज्यादा पाए गए है।
अभी तक के सभी कमेन्ट इस दो लिंक से लिए गए है
जवाब देंहटाएंhttp://www.hindi.indiawaterportal.org/node/29141
http://www.vicharmimansa.com/2010/08/1558/
अपनी कंट्री का
जवाब देंहटाएंहर एक सिटिजन
जब बिना कारण..बेमतलब
विदेशी बिगुल बजाता है
मन में शक आता है
नल में इनके शायद
पानी विदेशी आता है
वर्ना भाइयों और बहनों
स्वदेश का नायक तो
पच्चीस पैसे का पानी पीकर
वापस भारत आता है
शायद इसीलिए है नायक वो
आम युवा का मन कभी
थोड़ी ना भीगता है
स्वदेश प्रेम की बारिश में
उसके मन पर
मेकाले पद्दति से बना
एक इम्पोर्टेड छाता है
खुद तो वैज्ञानिक बताता है
सीधे बात नहीं समझ पायेगा
क्यों धरती हमारी माता है ??
क्यों पेड़ों को पूजा जाता है ??
ये जब तक परिणाम देख ना लें
इसे यकीन कहाँ आता है ??
यही विज्ञान सिखाता है
हमें पानी जमके ढोला
ठंडा मतलब कोका कोला
http://www.youtube.com/watch?v=YT0y-awSdyI
[सुधार]
जवाब देंहटाएंहमने पानी जमके ढोला
ठंडा मतलब कोका कोला
`````````````````````````````````````````
कमोड के बहुत सारे और भी इफेक्ट हैं :))
यहाँ देखें ....
http://my2010ideas.blogspot.com/2010/09/blog-post_17.html
http://my2010ideas.blogspot.com/2010/09/blog-post_19.htm
एक गैर जरूरी स्पष्टीकरण :
जवाब देंहटाएंमोडरेटर महोदय / लेखक महोदय ,
वैसे तो मैंने जानबूझ कर अपने कमेंट्स में लिंक्स कुछ कम ही दिए हैं
अगर आप को मेरे कमेन्ट विषय से बाहर लगे तो आप हटा सकते हैं , मैं खुद ही समझ जाऊँगा :(
[मुझे इस ब्लॉग की कमेन्ट पालिसी पता नहीं है इसलिए कह रहा हूँ]
अब समाधान .....
जवाब देंहटाएं~~~~~घर पर पानी कैसे बचाएं ~~~~
पंद्रह तरीके हैं
• Only wash full loads of laundry. Do not wash only one or two clothing articles at a time.
• When you are done soaking your fruits and vegetables do not waste the water down the drain, but instead water your indoor plants with it.
बाकी यहाँ पढ़ें
http://hubpages.com/hub/15-Ways-to-Conserve-Water-at-Home
भाई गौरवजी !
जवाब देंहटाएंआपके द्वारा दिए गए मत हमेशा ग्राह्य ही होतें है. आप द्वारा स्पष्टीकरण दिए जाने का कोई औचित्य ही नहीं है, आपकी टिप्पणियों से तो हर ब्लॉग की शोभा बढती है.
आपको इस ब्लॉग के लेखक-मंडल में शामिल होने का निवेदन पूर्व में भी किया गया था, और आज फिर से आग्रह मेल भेजी जा रही है. कृपया लेखक मंडल में शामिल होकर अपने सार्थक लेखन से इस ब्लॉग के उद्देश्यों के प्रसार में योगदान दीजिये.
आभार सहित .
अमित शर्मा
rajendr ji,
जवाब देंहटाएंbahut sunder har pankti,antim do line to bahut badhiya.......
जीवन की संभावना , मात्र शून्य , बिन नीर !
जवाब देंहटाएंजल-संरक्षण के लिए हो जाओ गंभीर !!
पुरी रचना सार्थक सन्देश देती हुई ...बहुत अच्छी लगी
कहते हैं कि जब आर्य भारत आये, उन्होंने सारे बाँध गिरा दिए, नदियों को उन्मुक्त बहने दिया, और खेती के लिए जब भी और जहां भी जल आवश्यक था, वहां मन्त्रों द्वारा वर्षा करा काम चलाया...उसके विपरीत, पश्चिम की नक़ल कर (काल के प्रभाव से?), हमने पश्चिम से ही 'स्वतंत्रता' प्राप्ति के पश्चात बड़े-छोटे बाँध बनाने का निर्णय लिया,,,हरित क्रान्ति तो हुई किन्तु विष की मात्रा खाद्य पदार्थों के अतिरिक्त वायु और जल में भी बढ़ती चली गयी है (जैसा कलियुग के आरंभ में तथाकथित क्षीरसागर मंथन के आरंभ में विष उत्पन्न हुआ था?) कुछ भारतीय बहुत धनि हो गए तो कई बहुत निर्धन,,,दोनों के बीच की दूरी और अधिक होती चली गयी,,, क्षमा प्रार्थी हूँ कहते कि हमारे कार्य-कलापों की झलक पंचतत्वों में से एक तत्व जल में सबसे अधिक देखने को मिली जब गंगा भी मैली हो गयी,,, 'शुद्ध पेयजल' घर घर पहुंचाना संभव न रहा, पैसा भगवान बन गया, पैसा है तो मशीन लगा स्वयं अतिरिक्त बिजली बनाओ, पानी शुद्ध करो, आदि आदि ! और, दूसरी ओर शर्म आती है जब सुनते हैं कि इसी देश में प्राचीन योगी अपने भीतर छुपी शक्ति का ही उपयोग कर स्वयं जल पर चलने आदि में भी सक्षम हो गए थे,,,और बिना भोजन अथवा जल ग्रहण करे भी वर्षों जिए !!! शायद हमारे आने वाली पीढ़ी को अभी से आगाह करने की आवश्यकता है, क्यूंकि हम शायद अब सुधर नहीं सकते ('घोर कलयुग' के कारण?)!!!
जवाब देंहटाएंबिन पानी सब सून..
जवाब देंहटाएंदुष्परिणाम दिखने शुरू हो गए हैं. पिछले दिनों खबर छपी कि दिल्ली के अधिकांश हिस्सों में सीवर के पानी को परिशोधित कर आपूर्ति की जा रही है!
जवाब देंहटाएंJabardast Lekhni.Samyik vishay par itna achha lekhan kam hi dekhne ko mila hai.Jal ki aapurti bhale badhit ho...apki kavyadhara ka paan karte rahna chahunga.
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया पोस्ट ..........................धन्यवाद
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