मनहरण कवित्त ने मन हरण कर लिया। वैदिक धर्म के कर्मकांड मनुष्य जीवन के मनोजगत और मित्रजगत (समाज) दोनों में ही सुख शांति की वर्षा करते हैं। मेरा अपना अनुभव भी यही है।
राजेन्द्र जी, आप जहाँ भी रहते हैं 'भारतीय सनातन धर्म के महिमा गान से उसके वैभव की वृद्धि ही करते हैं। 'शस्वरं' पर जाकर जैसा आनंद आता है वैसा ही अपने इस ब्लॉग पर आकर लगा।
इस कविताई के यज्ञ में मैं अपनी टिप्पणी होम कर रहा हूँ।
कल माँ छिन्नमस्तिके -
जवाब देंहटाएंके दर्शन के लिए रजरप्पा में था-
आभार भाई जी-
लिंक खुल नहीं रहा है
हटाएंअन्नाद भवन्ति भूतानि
जवाब देंहटाएंपर्जन्याद अन्न सम्भवः
यज्ञाद भवन्ति पर्जन्य
यज्ञ कर्म समुद्भवाः।
मनहरण कवित्त ने मन हरण कर लिया। वैदिक धर्म के कर्मकांड मनुष्य जीवन के मनोजगत और मित्रजगत (समाज) दोनों में ही सुख शांति की वर्षा करते हैं। मेरा अपना अनुभव भी यही है।
जवाब देंहटाएंराजेन्द्र जी, आप जहाँ भी रहते हैं 'भारतीय सनातन धर्म के महिमा गान से उसके वैभव की वृद्धि ही करते हैं। 'शस्वरं' पर जाकर जैसा आनंद आता है वैसा ही अपने इस ब्लॉग पर आकर लगा।
इस कविताई के यज्ञ में मैं अपनी टिप्पणी होम कर रहा हूँ।
सुंदर रचना के माध्यम से यज्ञ की भावना का प्रकटीकरण अच्छा लगा।
जवाब देंहटाएंबहुजन हिताय बहुजन सुखाय यज्ञ होता है
जनहित मे स्व होम करें अहंकार खोता है
छोड़ विभाजन जोड़े मानव यज्ञ मिलाता है
सुप्त जगाकर, जागृत उठकर आगे जाता है
हर हर महादेव !
जवाब देंहटाएंSUPERB SUPERB SUPERB SUPERB
भारत भारती के समस्त लेखक एवं पाठकों होली की हार्दिक शुभकामनायें!!!
जवाब देंहटाएंहृदय से आभार आप सभी के प्रति !
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