गुरुवार, 11 नवंबर 2010

घृत (घी) और सूर्य किरणों में में पुष्टिदायक तत्त्व- वेदों में विज्ञान !!



मूल  मन्त्र  यहाँ  देखें

विदित हो कि आज का विज्ञानं चिल्ला चिल्ला कर घी को और सूर्य कि किरणों को उर्जा का स्रोत कहता है !
और आज सभी लोग इस बात को स्वीकार करते भी हैं ! किन्तु लाखों वर्षों पहले यही तथ्य हमारे मनीषियों ने संपादित किया था क्या हम इस तथ्य को भी जानते हैं या जानने का प्रयास करते हैं क्या ?
ऋग्वेद का यह सूक्त आपको इस तथ्य से अवगत कराता है !

संकेत . -- मित्रं हुवे ............................................................ साधन्ता  ! (ऋग्वेद १/२/७)

भावार्थ . - घृत के समान पुष्ट, प्राणप्रद प्रकाशक हितैषी पवित्र सूर्य देवता और समर्थ वरुण देवता का आवाहन करता हूँ ! वे हमारी बुद्धि को उर्वरा बनाएं !!

टिप्पणी- उक्त मन्त्र में सूर्य को घृत के समान पुष्ट प्राणदायक पवित्र कहा गया है ! अब जरा दादी नानी के नुस्खे याद कीजिये ! जब आप की सेहत को देखते हुए आप के खाने में ढेर सारा घी डालते हुए वो कहा करती थी , बेटा खा ले, मोटा हो जाएगा !
आज का विज्ञान क्या कहता है ये तो आप सब को पता होगा ! घी की शक्ति का प्रमाण मिल जाने के बाद मन्त्र के आगे के भाग पर गौर करें तो देखते हैं कि घी के समान गुण वाला सूर्य को कहा गया है ! तात्पर्य यह है कि सूर्य कि ऊर्जा हमारे लिए उतनी ही लाभ दायक है जितनी कि घी ! अब विज्ञान की बातें याद करें तो वह भी यही कहता है कि सूर्य कि किरणों में फला- फला विटामिन होते हैं जो स्वास्थ्य के लिए अति लाभदायक होते हैं ! वरुण के लिए समर्थ शब्द का प्रयोग किया गया है ! क्यूंकि वरुण के मूर्त रूप जल के गुणों की आगे के मन्त्रों में चर्चा है ! किन्तु यदि वरुण के साथ भी उक्त विशेषण लगा दिए जाएँ तो भी कोई गलत नहीं होगा, क्यूंकि जल में भी कई गुण होते हैं जिनका वर्णन आगे के मंत्रो में प्राप्त भी होता है  ! ये स्पष्टीकरण इसलिए दे रहा हूँ कि हमारे कुछ भाई हैं जो तथ्यों से ज्यादा गलतियों पर ध्यान देते हैं ! अब वेद भगवान कि महिमा का ज्ञान अधिकाधिक जनों को हो इसके लिए इस लेख को जितना अधिक लोगों को भेज सकें उत्तम है !

क्रमशः ..................

--
भवदीय: - आनन्‍द:

4 टिप्‍पणियां:

  1. शब्द मंथन भरा आलेख!!

    जैसे दूध से दही और दही को अथक मथनें पर नवनीत प्राप्त होता है, उसी मख्खन को अग्नी से परिष्कृत करने पर घी प्राप्त होता है, आपने हर अक्षर,शब्द,पद का मंथन कर वेदरचियताओं के अभिप्राय को अखंड रखते हुए, उनके आशय के अनुरुप विवेचन किया है। आभार।

    महाज्ञानीयों ने उपमाएं निर्थक ही नहिं दे दी। शब्द शब्द में सार भारा है। निर्मल,निश्च्छल मन से गवेषणा अभिप्रेत है। साधुवाद!!

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  2. वन्दे मातरम,
    आपके ब्लॉग में आकर और आपके द्वारा लिखित पोस्ट पढ़कर आत्मीय प्रसन्नता हुई, मै आपका आभारी हूँ जो आपने मेरे नवोदित ब्लॉग में आकर मुझ अकिंचन का उत्साह बढाया और इस बेहतरीन ब्लॉग तक आने का मार्ग प्रसस्त किया मै आपसे विनम्र निवेदन करता हूँ की भविष्य में भी आप मुझे मार्गदर्शन प्रदान करते रहें ...
    "भारतीय"

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  3. ..

    अच्छी खाद और अच्छा पानी फसल की गुणवत्ता बरकरार रखते हैं.
    अच्छा स्वास्थ्य और अच्छी बुद्धि चरित्र की गुणवता को बरकरार रखते हैं.
    अतः इसे पाने के लिये सूर्य की किरणों का [मतलब धूप का] सेवन करें.

    ..

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  4. ..

    सर्दियाँ आ ही गयी हैं. इसलिये अब से धूप पर भरोसा करेंगे रजाई पर नहीं.
    'धूप के सेवन को' बढ़ती महँगाई में घृत के विकल्प के रूप में लिया जा सकता है.
    गरमाहट पाने के लिये जहाँ तक संभव हो प्राकृतिक माध्यमों का सहारा लें.

    ..

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