शुक्रवार, 18 फ़रवरी 2011

देश उन्नति की ओर जा रहा है अथवा अवनति की ओर

एक विचारक ने कहा है — कोई देश कितना उन्नत है या अवनत, इसका ज्ञान करने के लिए मुझे उस देश के युवकों के साथ रहने का कुछ समय दीजिये. उनके मुखों पर जो गीत हैं, उन्हें सुनकर मैं यह बतला दूँगा कि वह देश उन्नति की ओर जा रहा है अथवा अवनति की ओर. 

15 टिप्‍पणियां:

  1. सही बात है
    युवा सदा इतिहास बनाता
    लेखक उसको लिखता है.............

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  2. उदाहरण नहीं देना चाहता पर मुझे लगता है की पिछले साल दो भद्दे गाने कुछ ज्यादा ही हिट हो गए ..... उस हिसाब से तो अवनति की और ही जाता लग रहा है .... दुखद

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  3. भंड भांड बहुत फिरे पी वारूणी मतवारे
    कीर्तन नाम भूले, बचे मुन्नी गान वारे

    जोबन युवान को सारो गर्त में ही चल्यो जात है
    देश,संस्कृति को छोड़, शीला की चिंता खात है

    मोहल्ला में कौन मर्यो बस्यो कछु खबर नहीं
    पर आर्कुट,फस्बुक पर सिगरो जगत बतरात है

    अरे यह काहे को जोबन और कैसी जबानी है
    खाली फूंकनी सी नसान में बह्यो जात पानी है

    अब भी ऊठ चेत करलो रे संगी, बनजा सत्संगी
    देश-संस्कृति कि कीरत को अमित वृक्ष बड़ो जंगी

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  4. जब पता लगे तो बताये, फ़िर हमे भी पता चले कि हम ने सही सोचा हे या गलत.

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  5. भारतीय युवाओँ से मिलने के बाद,वह विचारक स्वयं दोराहे पर खड़ा होगा।

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  6. aaj sara cheez gadd-madd ho gaya hai ..kahna mushkil hai ..aaj ke yuva bhavishy bhi to bana rahen hain ..

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  7. जब पता लगे तो बताये, फ़िर हमे भी पता चले कि हम ने सही सोचा हे या गलत.
    @ पता लगने की बात नहीं, महसूस करने की है. यह सभी देशों पर लागू होती है.
    जिस देश के युवा की जुबान पर अय्याशी और फूहड़ गीतों का जमावड़ा होगा वह पतन की ओर
    और जिस देश के युवा की जुबान पर भक्ति और देशप्रेम के नगमे रहेंगे वह उन्नति की ओर .

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  8. भारतीय युवाओँ से मिलने के बाद, वह विचारक स्वयं दोराहे पर खड़ा होगा।
    @ बात बहुतायत से आँकी जायेगी. जिस पाले में अधिक लोग मिलेंगे वही पक्ष हावी होता है. विचारक के असमंजस का प्रश्न ही नहीं उठता.

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  9. आज सारा चीज़ गड्ड-मड्ड हो गया है .. कहना मुश्किल है .. आज के युवा भविष्य भी तो बना रहे हैं ..
    @ चिंतनशील और तार्किक तुला पर तुलते ही कोई मुश्किल नहीं रहती. अपना भविष्य तो पंगु, बूढ़े और विकलांग भी बना लेते हैं.
    देश का भविष्य केवल भौतिक उन्नति से नहीं सुरक्षित रहता.
    उसका भविष्य सर्वांगीण उन्नति से ही सुरक्षित होता है.
    जिसमें आर्थिक उन्नति के साथ-साथ नैतिक, चारित्रिक, बौद्धिक, अध्यात्मिक उन्नतियाँ भी शामिल हैं.

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  10. http://meradeshmeradharm.blogspot.com/2011/02/blog-post_25.html

    इस रविवार भारत और इंग्लॅण्ड का मैच मत देखिएगा - क्योंकि स्वामी रामदेव ही अकेले देशभक्त नहीं है

    कांग्रेस सांसद ने बाबा रामदेव को ब्लडी इंडियन कहा, उसके बाद कांग्रेस नेता दिगि्वजय सिंह ने कहा की स्वामी रामदेव ही अकेले देशभक्त नहीं है !
    वैसे तो ब्लडी इंडियन की ये कहानी नई नहीं है, इससे पहले भी दक्षिण अफ्रीका में अंग्रेजों ने गाँधी जी को इसी नाम से संबोधित किया था, फिर क्या हुआ बताने की जरूरत नहीं है - बोरिया बिस्तर समेटना पड़ गया उनको !

    ये सब कुछ ठीक उस वक्त हुआ जब बाबा रामदेव रामलीला मैदान में 27 फ़रवरी (रविवार) 2011 को भ्रष्टाचार के खिलाफ महा रैली (महा जनसभा) का ऐलान कर चुके थे !

    27 फ़रवरी (रविवार) २०११ को भारत और इंग्लॅण्ड का मैच है ! मैच दिन और रात का है और 2:30 बजे से प्रारंभ होगा !


    महारैली का समय है 12:00 बजे दोपहर का .
    ऐसे में इसका सीधा लाभ मिलेगा कोंग्रेस और भ्रष्ट सरकार को !

    मैच से तो भारत का कुछ भला नहीं होगा परन्तु जनसभा से भला जरूर होगा !
    तो फिर आप इस रविवार भारत और इंग्लॅण्ड का मैच मत देखिएगा और जनसभा में आइएगा (यदि आप दिल्ली या आस-पास के निवासी हैं)

    अपने अहम और मनोरंज का छोटा सा त्याग तो आप देश के लिए कर ही सकते हैं !!
    यदि संभव हो तो इस पोस्ट का लिंक अपने प्रिय मित्रजनो तक आवश्य पहुंचाएं !
    भ्रष्ट सरकार तिलमिला चुकी है, बस थोड़ी सी और तिलमिलाहट और सरकार का असली रंग पूर्णत: हमारे समक्ष होगा !

    बता दीजिये कांग्रेस को, भ्रष्ट सरकार को और कांग्रेस नेता दिगि्वजय सिंह को स्वामीजी (बाबा जी) ही अकेले देशभक्त नहीं है , , हम सब भी देशभक्त है !
    सिद्ध कीजिये अपनी देश भक्ति ! 27 फ़रवरी (रविवार) 2011 को भ्रष्टाचार के खिलाफ महा रैली (महा जनसभा) में जरूर आयें !!

    भारत की समस्त समस्याओं के मूल में है भ्रष्टाचार !!!

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  11. देश की उन्नति-अवनति का आकलन तो इस बात से भी हो जाता है की रेल्वे आदि सार्वजनिक पुस्तक बिक्रि दुकानों पर किस तरह कि पुस्तकें बिक रही हैं। प्रजातन्त्र जो एक औसत प्रत्यय है का लागू होने से समाज पतनोन्मुख ही है। यह प्रजातन्त्र प्रभाव ही है कि प्रकाशक विक्रेता या गीत संगीत के निर्माता फूहड, अश्लील, भौंडे, निरर्थ, महाविनाशकारी, घातक-पातक संस्कृति को फैलाते हैं। तथा इसके जनक उत्पादक या निर्देशक प्रजातन्त्री माहोल में सर्वाधिक धन-मान-प्रसिद्धि पाते हैं। उदाहरण के लिए फाराह खान है जिस को हाल ही में अपने दोनों कु..(?)प्रसिद्ध गीतों को के लिए फिल्मफेअर पुरस्कार से नवाजा गया।
    “आर्यवीर”

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  12. वाह .. क्या बात कही है ..
    बहुत सारी शुभ कामनाएं आपको !!

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  13. .
    @ हे परम आदरणीय ब्रह्मचारी अरुण कुमार 'आर्यवीर' जी,
    समाज पर जिस घातक-पातक संस्कृति का जो प्रभाव आज व्याप्त है वह प्रजातंत्र का पराभव है. बहुत से संज्ञा सूची शब्द और संबोधन सूचक शब्द आज़ जिस सन्दर्भ में इस्तेमाल किये जा रहे हैं उन शब्दों का वास्तविक निहित अर्थ बेशक जितना भी बुरा हो, वे आज यदि सही अर्थों को व्यंजित करते हों तो स्वीकृत कर ही लेने चाहिए. किस-किस का विरोध करते रहें : राष्ट्रगान के वास्तविक अर्थ को लेकर माथापच्ची करें, अथवा फिर हिन्दू शब्द की काफिर अर्थ वाली अरबी व्याख्या करके कुफ्र करें, या फिर प्रजातंत्र के दुष्परिणामों को देखकर इसे सर्वांगीण अवनति का दोषी ठहरा दें?
    ..

    स्वर्गीय प्रोफ़ेसर त्रिलोकीनाथ क्षत्रीय जी ने अपनी पुस्तक "प्रजातंत्र ह्त्या क्रान्ति" में जिस प्रजातंत्र को समाप्त कर देने की इच्छा जतायी है वह काफी तार्किक है.
    आप उसे अपनी सुविधा से कभी हमारे ब्लॉग पर टिप्पणियों रूप में डाल दें. और मैं अपनी सुविधा से उसे अपने ब्लॉग पर कुछ व्याख्या के शाथ देना चाहूँगा. अपने साथियों के बीच इस विषय पर चर्चा करने में आनंद आयेगा. बौद्धिक व्यायाम काफी दिनों से नहीं हुआ है. कर लेना उद्देश्य है. कृपया फिर से उन सिद्धांतों को एक-एक कर मुझे प्रेषित करें.
    email ID : pratul1971@gmail.com, pratulvasistha@gmail.com, pratulvasistha71@gmail.com, pratulpratul@yahoo.com
    .

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  14. .
    मदन शर्मा जी, आपका बेहद शुक्रिया. आपके प्रोत्साहन से ही आगे भी बौद्धिक चर्चा करने की ऊर्जा मिलती है.
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