गुरुवार, 7 अक्टूबर 2010

मधुर वचन

प्रियवाक्य प्रदानेन, सर्वे तुष्यन्ति जन्तवः।
तस्मात तदेव वक्तव्यं, वचने का दरिद्रता ?॥

--मधुर वचन से ही सभी प्रसन्न होते है, अतः सभी को मधुर वाणी ही बोलनी चाहिये। भला वचन की भी क्या दरिद्रता?

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   चुडियों का व्यापारी, एक गधी पर चुडियां लाद कर बेचा करता था। एक बार किसी एक गांव से दूसरे गांव जाते हुए रास्ते में बोलता जा रहा था, 'चल मेरी माँ, तेज चल'।'चल मेरी बहन,जरा तेज चल'। साथ चल रहे राहगीर नें जब यह सुना तो पुछे बिना न रह पाया। "मित्र  तुम इस गधी को क्यों माँ बहन कहकर सम्बोधित कर रहे हो?"
चुडियों वाले ने उत्तर दिया, "भाई मेरा व्यवसाय ही ऐसा है, मुझे दिन भर महिलाओं से ही वाणी-व्यवहार करना पडता है। यदि मैं इस जबां को जरा भी अपशब्द अनुकूल बनाउं तो मेरा धंधा ही चौपट हो जाय।  मैं अपनी वाणी की शुद्धता के लिये, इस गधी को भी माँ-बहन कह सम्बोधित करता हूं। इससे मेरे वचन पावन व सौम्य-सजग  बने रहते है,  और मेरा मन भी पवित्रता से हर्षित रहता है।
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12 टिप्‍पणियां:

  1. जय हो आपकी ! क्या अद्भुत सूत्र दिया है जीवन में शांति लाने का. अगर सभी मीठीवाणी ही बोले तो फिर किसी प्रकार का क्लेश ही पैदा ना हो

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  2. प्रोत्साहन के लिये आभार अमित जी।

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  3. सुज्ञ जी,
    भाषा का बड़ी पवित्रता से प्रयोग किया जाना चाहिए.
    आपने कथा के माध्यम से व्यावसायिक सफलता से जोड़कर इस सूत्र को पुष्ट किया है.

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  4. वाह अच्छा फंडा बताया है

    मैं मानता हूँ ज्ञानियों का लक्षण होता है

    "कम से कम और आसान शब्दों में पूरी बात कह देते हैं"

    आप हमेशा इस बात को सही सिद्द करते रहे हैं

    इस पोस्ट के लिए ह्रदय से आभार व्यक्त करता हूँ

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  5. सभी विद्वानों से श्रेय पाकर अभिभुत हूं।
    आपके मंतव्यों पर खरा रहनें का प्रयास होगा।

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  6. संगीता पुरी जी, भारत माता और भारती संस्कृत भाषा के वैभव के गौरव गान के लिए शुरू किये गए ब्लॉग को चर्चा में लेने के लिए आभार !

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  7. सर्वप्रथम तो प्रिय अमित जी को इस सार्थक कदम हेतु साधुवाद देना चाहूँगा, साथ में शुभकामनाऎँ भी.
    दूसरे ये कि आपने जो इस प्रयास में सहभागिता हेतु आमंत्रण प्रेषित किया था, वो लिंक काम नहीं कर रहा...उसे स्वीकार करता हूँ तो वो कोई त्रुटि संदेश देने लगता है..कृ्प्या एकबार जाँच लें.

    सुज्ञ जी, मेरा तो ये मानना है कि ये अकेला सूत्र ही इन्सान के मन,वचन और कर्म में एकरूपता लाने में सहायक है..
    उत्तम! अति उत्तम!!

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  8. Bahut accha, apke dvara di ukti tatha kahani bahut bhayi. koi Madhur vachan sachmuch aapse hi sikhe.
    is peshagi ke liye dhanyavaad.

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  9. बहुत सुंदर बोध कथा है …


    विलम्ब से ही सही …
    * श्रीरामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं ! *
    आप सभी स्वीकार करें ।

    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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