यं वैदिक मन्त्रदृश: पुराना
इन्द्रं यमं मातरिश्वानामाहु:
वेदान्तिनोस्निर्वचनीयमेकं
यं ब्रह्मशब्देन विनिर्दिश्न्ति !! (१)
शैवा यमिशं शिव इत्यवोचन
शैवा यमिशं शिव इत्यवोचन
यं वैष्णवा विष्णुरिति स्तुवन्ति !
बुद्ध स्तथा ह्र्न्निती बौद्धजैना:
सत-श्री-अकालेती च सिक्ख संत: !! (२)
बुद्ध स्तथा ह्र्न्निती बौद्धजैना:
सत-श्री-अकालेती च सिक्ख संत: !! (२)
शास्तेति केचित कतिचित कुमार:
स्वामीति मातेति पिटती भक्त्या !
यं प्रार्थयन्ते जग्दीशितारम
स्वामीति मातेति पिटती भक्त्या !
यं प्रार्थयन्ते जग्दीशितारम
स एक एव प्रभुर्द्वितीय: !! (३)
- अर्थ
प्राचीन काल के मंत्र द्रष्टा ऋषियों ने जिसे इन्द्र, यम, मत्रिश्वान कहकर पुकारा और जिस एक अनिर्वचनीय का वेंदंती ब्रह्म शब्द से निर्देश करते हैं !
शैव जिसकी शिव और विष्णु जिसकी विष्णु कहकर स्तुति करते हैं, बौद्ध और जैन जिसे बुद्ध और अरहंत कहते हैं, ठाठ सिक्ख जिसे सत श्री अकाल कहकर पुकारते हैं !
जिस जगत के स्वामी को कोई शास्ता, तो कोई कुमार स्वामी कहतें हैं, कोई जिसको स्वामी, माता, पिता कहकर भक्तिपूर्वक प्रार्थना करते हैं, वह प्रभु एक ही है, और अद्वितीय है, अर्थात उसका कोई जोड़ नहीं है !!!
शैव जिसकी शिव और विष्णु जिसकी विष्णु कहकर स्तुति करते हैं, बौद्ध और जैन जिसे बुद्ध और अरहंत कहते हैं, ठाठ सिक्ख जिसे सत श्री अकाल कहकर पुकारते हैं !
जिस जगत के स्वामी को कोई शास्ता, तो कोई कुमार स्वामी कहतें हैं, कोई जिसको स्वामी, माता, पिता कहकर भक्तिपूर्वक प्रार्थना करते हैं, वह प्रभु एक ही है, और अद्वितीय है, अर्थात उसका कोई जोड़ नहीं है !!!
ॐ शांति: शांति: शांति:
उसका कोई जोड़ नहीं है !!!
जवाब देंहटाएंॐ शांति: शांति: शांति:
प्रभु एक ही है : निराकार.......
जवाब देंहटाएं९९- जो अद्वैत सत्य ईश्वर है.- यो० प० १७, आ० ३
जवाब देंहटाएं( समीक्षक ) जब अद्वैत एक ईश्वर है तो ईसाईयों का तीन कहना सर्वथा मिथ्या है . ॥ ९९ ॥
इसी प्रकार बहुत ठिकाने इंजील में अन्यथा बातें भरी हैं. सत्यार्थ प्रकाश पृष्ट ४१४, १३वां समुल्लास
परम विचार - यह देखो ऋषि का चमत्कार. इसे कहते हैं गागर में सागर. यह थोड़े से शब्द तेरी पूरी पोस्ट पे भारी हैं.
पादरी तूने क्या चखा है यह तेरे उत्तर से स्पष्ट हो जायेगा. तेरे पे ज्ञान की आत्मा उतरती हो तो दे इसका जवाब.
९९- जो अद्वैत सत्य ईश्वर है.- यो० प० १७, आ० ३
जवाब देंहटाएं( समीक्षक ) जब अद्वैत एक ईश्वर है तो ईसाईयों का तीन कहना सर्वथा मिथ्या है . ॥ ९९ ॥
इसी प्रकार बहुत ठिकाने इंजील में अन्यथा बातें भरी हैं. सत्यार्थ प्रकाश पृष्ट ४१४, १३वां समुल्लास
परम विचार - यह देखो ऋषि का चमत्कार. इसे कहते हैं गागर में सागर. यह थोड़े से शब्द तेरी पूरी पोस्ट पे भारी हैं.
पादरी तूने क्या चखा है यह तेरे उत्तर से स्पष्ट हो जायेगा. तेरे पे ज्ञान की आत्मा उतरती हो तो दे इसका जवाब.
९९- जो अद्वैत सत्य ईश्वर है.- यो० प० १७, आ० ३
जवाब देंहटाएं( समीक्षक ) जब अद्वैत एक ईश्वर है तो ईसाईयों का तीन कहना सर्वथा मिथ्या है . ॥ ९९ ॥
इसी प्रकार बहुत ठिकाने इंजील में अन्यथा बातें भरी हैं. सत्यार्थ प्रकाश पृष्ट ४१४, १३वां समुल्लास
परम विचार - यह देखो ऋषि का चमत्कार. इसे कहते हैं गागर में सागर. यह थोड़े से शब्द तेरी पूरी पोस्ट पे भारी हैं.
पादरी तूने क्या चखा है यह तेरे उत्तर से स्पष्ट हो जायेगा. तेरे पे ज्ञान की आत्मा उतरती हो तो दे इसका जवाब.
या देवी सर्व भूतेषु सर्व रूपेण संस्थिता |
जवाब देंहटाएंनमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||
-नव-रात्रि पर्व की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं-
.
जवाब देंहटाएंई..... श्वर ............ एक.
धर्म ... भी ............ एक.
अनु ... यायी ......... अनेक.
ईश्वर भजने बैठ गये हैं.
रंग-बिरंगा चोला पहने.
कोई भजता निराकार को.
कोई गाता प्रेम तराने.
कोई लगाता उटठक-बैठक.
कोई प्रेयर को ही माने.
बाहर मोह, लोभ, वासनाओं ने जाल फैलाया था.
उसमें पड़े दानों को खाने वाली आत्मायें फँस गयी.
वहीं रहते थे धर्म के दस गुणी चूहे.
वे ही उस जाल को काट सकते थे.
जिस फँसी आत्मा ने मुक्ति की गुहार लगायी उसकी मदद की धृति, क्षमा, दम, अस्तेय, शौच, इन्द्रीय निग्रह, धी, विद्या, सत्य, अक्रोध नाम के उन पैने दाँत वाले चूहों ने.
उन्होंने वासना, लोभ और मोह से बुने जाल को काट दिया.
आत्मा मुक्त हुयी.
आनंदित हुयी.
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[सूरज एक, चन्दा एक, तारे अनेक गीत की धुन पर पिरोये विचार]
ईश्वर भजने बैठ गये हैं.
जवाब देंहटाएंरंग-बिरंगा चोला पहने.
कोई भजता निराकार को.
कोई गाता प्रेम तराने.
कोई लगाता उटठक-बैठक.
कोई प्रेयर को ही माने.
प्रतुल जी,
जवाब देंहटाएंसुलझे हुए विचार!!
सत्यपरक, आत्म उद्धार का मार्ग बता गये।
प्रतुल जी,
जवाब देंहटाएंइस उलझाव भरी दुनिया में एक सुलझे विचार!
चर्चा मंच पर आपकी निम्न टिप्पणी बताती है की आपमें एक अच्छा कवि मौजूद है.good. आपने १२.१०.२०१० के चर्चा मंच पर मेरी ग़ज़ल नहीं देखी न ही मेरा ब्लॉग:
जवाब देंहटाएंkunwarkusumesh.blogspot.com देखा. समय हो तो देखिएगा.
आप इकठ्ठा कर देते हो
मंच लगाकर अपनेपन में
अहंकार को छोड़ परस्पर
मिल जाते सब कुछ ही क्षन में
कुँवर कुसुमेश